सूर्यास्त के बाद यहां पर कोई भी नहीं रुकता। एक रहस्यमय मंदिर, जो एक रहस्मयी घटना से जुड़़ा हुआ हैं जिसे किराडू मंदिर (kiradu temples) कहते हैं। इस मंदिर का रहस्य अभी भी अनसुलझा ही हैं। 
भारत चमत्कारों और आस्था का देश है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक कई चमत्कारिक मंदिर, दरगाह, गांव, साधु, संत, तांत्रिक और रहस्यमय गुफाएं मिल जाएंगी। अब इसे आप चमत्कार कहें या अंधविश्‍वास, लेकिन एक ऐसा भी स्थान हैं, जहां जाकर लोग हमेशा के लिए पत्थर  मूरत बन जाते हैं।

राजस्थान में kiradu temple barmer स्थित हैं। 

Kiradu temples

देश में ऐसे कई गांव हैं, जहां के लोग किसी साधु के शाप के चलते पत्थर बन गए थे। मध्यप्रदेश में देवास के पास गंधर्वपुरी है तो राजस्थान में बाड़मेर के पास किराडु शहर। आखिर क्या सच है किराडु शहर का? क्यों आज भी लोग इस गांव के नाम से डरते हैं और क्यों शाम होते ही यह शहर भूतों का स्थान बन जाता है।

किराडु मंदिर अपने मंदिरों की शिल्प कला के लिया विख्यात है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। दरअसल किराडू मंदिर को "राजस्थान का खजुराहो" भी कहा जाता है, लेकिन किराडू मंदिर को खजुराहो जैसी प्रसिद्धि नहीं मिल पाई क्योंकि यह बीते 900 सालों से वीरान, उजाड़ है और आज भी यहां पर दिन में कुछ चहल–पहल रहती है पर शाम होते ही यह जगह वीरान शमशान में तब्दील हो जाती है, सूर्यास्त के बाद यहां पर कोई भी नहीं रुकता। kiradu mandir barmer

पूरे राजस्थान में खजुराहो मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर रहस्य प्रेमियों को विशेष आकर्षित करता हैं। लेकिन यहां की ऐसी खौफ़नाक सच्चाई है जिसे जानने के बाद कोई भी यहां शाम के बाद ठहरने की हिम्मत नहीं कर सकता। kiradu temple rajasthan

Kiradu temple history in hindi

राजस्थान की रेत दिन में जितनी शांत दिखाती है, सूरज ढलने के साथ ही ये खामोशी उतनी ही सिहरन पैदा करती है। ऐसी ही ख़ामोशी को समेटे है राजस्थान का एक जिला बाड़मेर, बहुत समय तक गुमनामी की चादर लपेटे रहा और अब यह जिला राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन रहा है जिसकी वजह है किराडू का मंदिर ! बाड़मेर में एक जगह है किराडू | किराडू के मंदिर अपने अद्भत शिल्प-सौन्दर्य और अपने एक लोक-प्रचलित श्राप के कथानक से, आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों को न केवल स्तब्ध कर देते हैं बल्कि उनके मन में प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के लिए कौतूहल भी जगाते हैं | "राजस्थान समाचार" की माने तो इसे मंदिरों का शहर या "राजस्थान का खजुराहो" भी कहा जाता है।| kiradu temple story

किराडू के मंदिरों का निर्माण :-

किराडू के मंदिरों का निर्माण किसने कराया इसकी भी कोई सार्थक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि यहां पर 12वीं शताब्दी के तीन शिलालेख उपलब्ध हैं पर उन पर भी इनके निर्माण से सम्बंधित कोई पुख्ता और सार्थक जानकारी नहीं है। इतिहासकार कहते है कि किराडू के मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था तथा इनका निर्माण परमार वंश के राजा दुलशालराज और उनके वंशजों ने किया था। 
किराडू में किसी समय पांच भव्य और सुन्दर मंदिरों की एक श्रृंखला थी। आज इन पांच मंदिरों में से केवल विष्णु मंदिर और सोमेश्वर मंदिर ही ठीक हालत में है। kiradu temple barmer history in hindi

यहां के मंदिरों के खंडहरों में रात में कदम रखते ही लोग हमेशा-हमेशा के लिए पत्थर बन जाते हैं। यह कोई शाप है, जादू है, चमत्कार है या भूतों की हरकत- कोई नहीं जानता। हालांकि किसी ने ये बात जानने की हिम्मत भी नहीं की, कि क्या सच में यहां रात कोई व्यक्ति ठहरता हैं तो क्या वह पत्थर बन जाएगा? कौन ऐसी रिस्क ले सकता है? तभी तो आज तक ये रहस्य युहीं बरकरार है। कैसे जान पाएगा कोई कि अगर ऐसा होता है तो इसके पीछे कारण क्या है? आज भी देश का इतिहास इसी तरह खंडहरों में दफन है। kiradu temple mystery


राजस्थान के बाड़मेर में स्थित किराडु शहर ऐसे ही किसी रहस्य को अपने भीतर दफन किए हुए है। कहा जाता हैं कि एक वक़्त था, जब यह स्थान भी आम जगहों की तरह चहल-पहल से भरा था और लोग यहां खुशहाल जीवन जीते थे। यहां हर तरह की सुख-सुविधाएं मौजूद थीं, लेकिन एक दिन अचानक ऐसा भयानक मुसीबत आयी जिसने इस शहर की किस्मत बदल गई। कहना चाहिए कि इस पर वज्रपात हुआ और सभी अपना जीवन खो बैठे।

kiradu temple barmer history in hindi

मान्यता है कि इस शहर पर एक साधु का शाप लगा हुआ है। यह लगभग 900 साल पहले की बात है, जबकि यहां परमारों का शासन था। तब इस शहर में एक सिद्ध संत ने डेरा डाला। कुछ दिन रहने के बाद जब वे संत तीर्थ भ्रमण पर निकले तो उन्होंने अपने साथियों को स्थानीय लोगों के सहारे छोड़ दिया कि आप इनको खाना देना और इनकी सुरक्षा करना।
संत के जाने के बाद उनके सारे शिष्य बीमार पड़ गए औरगांव के किस भी व्यक्ति ने उनकी सहायता नहीं की  बस एक कुम्हारिन ने उनकी सहायता की। कुछ दिनों के बाद जब संत पुन: उस शहर में लौटे तो उन्होंने देखा कि मेरे सभी शिष्य भूख से तड़प रहे हैं और बहुत ही बीमार अवस्था में हैं। यह सब देखकर संत को बहुत क्रोध आया।
उस सिद्ध संत ने कहा कि जिस स्थान पर साधुओं के प्रति दयाभाव और उनका सम्मान ही नहीं है, तो अन्य लोगों  के साथ क्या दयाभाव होगा? ऐसे स्थान पर मानव जाति को नहीं रहना चाहिए। उन्होंने क्रोध में अपने कमंडल से जल निकाला और हाथ में लेकर कहा कि जो जहां जैसा है, शाम होते ही पत्‍थर बन जाएगा। उन्होंने सभी गाव वालों को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। 

फिर उन्होंने जिस कुम्हारिन ने उनके शिष्यों की सेवा की थी, उसे बुलाया और कहा कि तू शाम होने से पहले इस शहर को छोड़ देना और जाते वक्त पीछे मुड़कर मत देखना। कुम्हारिन शाम होते ही वह शहर छोड़कर चलने लगी लेकिन जिज्ञासावश उसने पीछे मुड़कर देख लिया तो कुछ दूर चलकर वह भी पत्थर बन गई। इस शाप के चलते पूरा गांव आज पत्थर का बना हुआ है। जो जैसा काम कर रहा था, वह तुरंत ही पत्थर का बन गया।
इस शाप के कारण ही आस-पास के गांव के लोगों में दहशत फैल गई जिसके चलते आज भी लोगों में यह मान्यता है कि जो भी इस शहर में शाम को कदम रखेगा या रुकेगा, वह भी पत्थर का बन जाएगा।


किराडु के मंदिरों का निर्माण किसने कराया इस बारे में कोई तथ्य मौजूद नहीं है। यहां पर पर विक्रम शताब्दी 12 के तीन शिलालेख उपलब्ध हैं। पहला शिलालेख विक्रम संवत 1209 माघ वदी 14 तदनुसार 24 जनवरी 1153 का है जो कि गुजरात के चालुक्य कुमार पाल के समय का है। दूसरा विक्रम संवत 1218, ईस्वी 1161 का है जिसमें परमार सिंधुराज से लेकर सोमेश्वर तक की वंशावली दी गई है और तीसरा यह विक्रम संवत 1235 का है जो गुजरात के चालुक्य राजा भीमदेव द्वितीय के सामन्त चौहान मदन ब्रह्मदेव का है। इतिहासकारों का मत है कि किराडु के मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था तथा इनका निर्माण परमार वंश के राजा दुलशालराज और उनके वंशजों ने किया था।


यहां मुख्यत: पांच मंदिर है जिसमें से केवल विष्णु मंदिर और सोमेश्वर मंदिर ही ठीक हालत में है। बाकी तीन मंदिर खंडहरों में बदल चुके हैं।


खजुराहो के मंदिरों की शैली में बने इन मंदिरों की भव्यता देखते ही बनती है। हालांकि आज यह पूरा क्षेत्र विराने में बदल गया है लेकिन यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इन मंदिरों को क्यों बनाया गया और इसके पीछे इनका इतिहास क्या रहा है इस सब पर शोध किए जाने की आवश्यकता है।

kiradu temple photos
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किराडू मंदिर खुलने एवं बन्द होने का समय ( Time for the temple to open and close )

किराडू मंदिर पर्यटकों के घूमने के लिए प्रतिदिन सुबह 9.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक खुला रहता है और आपकी जानकारी के लिए बता दे किराडू मंदिर की पूर्ण और विस्तृत यात्रा के लिए 1-2 घंटे का समय निकालकर मंदिर की यात्रा सुनिश्चित करें। किराडू मंदिर में पर्यटकों के घूमने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नही है यहाँ आप बिना किसी एंट्री फीस का भुगतान किये घूम सकते हैं।

हवाई जहाज़ से कैसे पहुंचे किराडू मंदिर ( How to reach Kiradu temple by plane )

अगर आप हवाई मार्ग से किराडू मंदिर बाड़मेर की यात्रा करना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि बाड़मेर का निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है जो बाड़मेर से लगभग 220 किमी की दूरी पर स्थित है। जोधपुर हवाई अड्डा के लिए दिल्ली, मुंबई, जयपुर और उदयपुर से लगातार उड़ानें उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से किराडू मंदिर बाड़मेर जाने के लिए आप टैक्सी, केब या बस से यात्रा कर सकते हैं।

ट्रेन यात्रा द्वारा कैसे पहुंचे किराडू मंदिर ( How to reach Kiradu temple by train )

अगर आप किराडू मंदिर की यात्रा ट्रेन द्वारा करना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि किराडू मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन बाड़मेर रेलवे स्टेशन है जो जोधपुर और अन्य प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्व्रारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। तो आप ट्रेन से यात्रा करके बाड़मेर रेलवे स्टेशन पहुंच सकते है और रेलवे स्टेशन से किराडू मंदिर जाने के लिए आप टैक्सी, ऑटो या अन्य स्थानीय वाहनों की मदद ले सकते हैं।

सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे किराडू मंदिर ( How to reach Kiradu temple by road )

अगर आप सड़क मार्ग से बाड़मेर की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि बाड़मेर बस टर्मिनल रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। बाड़मेर के लिए आपको जोधपुर, जयपुर, उदयपुर सहित राज्य के अधिकांश शहरों से बसें मिल जायेंगी। उसके अलावा आप टैक्सी, केब या अपनी निजी कार के माध्यम से भी किराडू मंदिर पहुंच सकते हैं।

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