बीएसएफ जवानों और स्थानीय लोगों का मानना है कि उस युद्ध में तनोट माता की कृपा ने भारत को जीत दिलाई था। इस कारण बीएसएफ के जवानों और दूसरे श्रद्धालुओं के बीच इस मंदिर की काफी मान्यता है।

तनोट माता

बीएसएफ जवानों और स्थानीय लोगों का मानना है कि उस युद्ध में तनोट माता की कृपा ने भारत को जीत दिलाई था। इस कारण बीएसएफ के जवानों और दूसरे श्रद्धालुओं के बीच इस मंदिर की काफी मान्यता है।

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लड़ाई के दौरान पाकिस्तान की तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर में खरोंच तक नहीं ला सके। वहीं, मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे ही नहीं। बीएसएफ जवानों और स्थानीय लोगों का मानना है कि उस युद्ध में तनोट माता की कृपा ने भारत को जीत दिलाई था। इस कारण बीएसएफ के जवानों और दूसरे श्रद्धालुओं के बीच इस मंदिर की काफी मान्यता है।

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मन्दिर के अन्दर ही एक संग्रहालय है जिसमें वे गोले भी रखे हुए हैं। यहां के पुजारी भी सैनिक ही हैं। यह मंदिर भारत के लोगों के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना के फौजियों के लिए भी आस्था का केन्द्र रहा है। मंदिर में देवी के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

सेना के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं। तनोट माता के मंदिर जाने के लिए सबसे पहले जैसलमेर पहुंचना होगा। जैसलमेर जाने के लिए अपने वाहन से जा सकते हैं। इसके अलावा राजस्थान रोडवेज की बस से भी जा सकते हैं।