Rahasyo ki Duniya पर आप लोगों का स्वागत हैं, आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक रहस्मयी घटना के बारे में। हैदराबाद में स्थित एक किला, जिसे लोग गोलकुंडा किले के नाम से जानते हैं। इस जगह का रहस्य अभी भी अनसुलझा ही हैं।
Golkunda fort , Hyderabad से सिर्फ 12 किमी दूर है। 15वीं शताब्दी में गोलकुंडा चकाचौंध भरी जिंदगी जी रहा था। हालांकि अब यहां सिर्फ गौरवशाली अतीत के खंडहर ही देखने को मिलते हैं। इस किले को कुतुब शाही वंश के शासकों ने बनवाया था, जिन्होंने यहां 1512 से शासन किया।
किले में सबसे ज्यादा योगदान इब्राहिम कुली कुतुब शाह वली ने दिया। इस किले को उत्तरी छोर से मुगलों के आक्रमण से बचने के लिए बनाया गया था। अकॉस्टिक इस किले की सबसे बड़ी खासियत है। अगर आप महल के आंगन में खड़े होकर ताली बजाएंगे तो इसे महल के सबसे ऊपरी जगह से भी सुना जा सकेगा, जो कि मुख्य द्वार से 91 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
ऐसा कहा जाता है कि एक गुप्त सुरंग गोलकुंडा किले को चारमीनार से जोड़ती है। हलांकि इस संबंध में कोई प्रमाण या कोई साक्ष्य नहीं मिला है।
भारत का ऐतिहासिक शहर 'हैदराबाद' अपने अंदर कई राज दफन किए हुऐ है। यहां आज भी कई ऐसे भवन, इमारतें, व किले मौजूद हैं, जिनकी बूढ़ी होती दीवारों में, भारत का अतीत संचित है। हैदराबाद भारत की उन 565 रियासतों में शामिल था, जहां कई बादशाहों, राजा-सम्राटों ने राज किया। इस कड़ी में आज हमारे साथ जानिए हैदराबाद के उस ऐतिहासिक किले के बारे में जिसकी दीवारों को गिराने के लिए, मुगल शासक औरंगजेब ने अपनी सारी तोपें लगा दी थीं।
ऐतिहासिक किला 'Golkunda' :-
Golkunda fort हैदराबाद शहर से 12 किमी की दूरी पर स्थित है। यह किला अपने बेशकीमती खजानों व रहस्यमयी गुफाओं के लिए जाना जाता है। यहां लंबे वर्षों तक काकतीय राजाओं ने राज किया। इतिहासकारों की मानें तो इस पहाड़ी किले को बनाने का सुझाव राजा प्रताप रूद्रदेव को एक गड़ेरिये ने दिया था। जिसके बाद इस किले का निर्माण करवाया गया। अगर आप इस किले का नाम का शाब्दिक अर्थ देखें तो पता चलेगा, कि 'गोलकोण्डा' दो शब्दों के मेल से बना है, 'गोल्ला' जिसका अर्थ गड़रिया व 'कोण्डा' यानी पहाड़ी। अगर आप इस किले के सबसे ऊपरी भाग पर जाएं तो आपको इसकी ऊंचाई का पता चलेगा, जहां से आप पूरे हैदराबाद का दीदार कर सकते हैं।
पर्यटन के लिहाज से Golkunda fort :-
पर्यटन के लिहाज से यह ऐतिहासिक किला बहुत मायने रखता है। यहा आकर आप प्रारंभिक भारत की वो छवि देख व समझ पाएंगे जो कभी राजा-रजवाड़ों व निजामों के बीच बंटी हुई थी । किले की काली पड़ती दीवारों ने न जाने कितने बादशाहों, सम्राटों को आते व मिटते देखा है। कई आक्रमणों का दंश झेल चुका यह किला अपने अतीत को अभी भी संभाले हुए है। अगर आप Hyderabad आएं तो इस किले की सैर जरूर करें। आगे जानिए यह किला आपके लिए कितना खास है।
Golkunda fort का संक्षिप्त इतिहास :-
यह ऐतिहासिक किला कई शासकों का अतीत बयां करता है। जिस पर अगल-अलग समय पर कई सम्राटों ने शासन किया। इस कड़ी में यह भी बात सामने आती है, कि राजा कृष्णदेवराय ने एक संधि के तहत इस किले को बहमनी वंश के राजा, मोहम्मद शाह को सौप दिया था। फिर यहां कई लंबे समय तक बहमनी राजाओं ने राज किया । जिसके बाद Golkunda पर एक नई सल्तनत 'कुतुबशाही' का आगाज हुआ । इस वंश के सात सम्राटों ने गोलकोण्डा पर राज किया । कुतुबशाही सल्तनत के तीन राजाओं ने महल का पुन: निर्माण करवाया। इस वंश के चौथे सम्राट मोहम्मद कुली कुतुबशाह ने, अपनी पत्नी भागमती के नाम पर भाग्यनगर नामक शहर का निर्माण करवाया । जिसे अब Hyderabadके नाम से जाना जाता है
कोहिनूर के लिए प्रसिद्ध :-
आपने कोहिनूर हीरे के बारे में तो जरूर सुना होगा, क्या आपको इसका इतिहास पता है? आपको जानकर हैरानी होगी कि Kohinoor Daimond Golkunda fort से संबंध रखता है।
कहा जाता है 17 वीं शताब्दी के दौरान गोलकोंडा हीरे-जवाहरातों का प्रसिद्ध बाजार हुआ करता था। जिसमें भारत का कोहिनूर भी शामिल था। यहां कभी हीरे के खानें हुआ करती थीं, जिसने पूरी दुनिया को कई बेशकीमती हीरे दिए। हालांकि अब इन खानों का अस्तित्व मिट चुका है, आक्रमण के बाद यह किला व आसपास का इलाका बहुत हद तक प्रभावित हुआ था।
Golkunda fort की अद्भुत संरचना :-
Golkunda kile की निर्माण व्यवस्था को अगर देखें, तो पता चलेगा कि यह किला कई भवनों में विभाजित था। जैसे शाही किला, हॉल, बारहदरी मस्जिद आदि। आज भी ये भवन अपनी मजबूत संरचना के चलते अस्तित्व में हैं, जिन्हें देखने के लिए देश-दुनिया से पर्यटक आते हैं। पर हां इस किले के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं, जहां किसी को जाने की इजाजत नहीं। चूंकि यह किला यह किला पहाड़ी पर स्थित है, तो यहां जल पहुंचाना उतना आसान नहीं था। इसलिए यहां जल संचय व प्रवाह के लिए अद्भुत तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था। उस समय पानी ऊपर पहुंचाने के लिए टेरीकोटा पाइपों का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि अब यह पूरा खंडहर में तब्दील हो चुका है।
तालियों का मंडप :-
यह किले का वो भाग है, जहां कभी फिरयादी अपनी फरयाद लेकर राजा के पास आते थे । किले का यह भाग किसी रहस्य से कम नहीं है। यहां का ध्वनि-विज्ञान किसी को भी अचरज में डाल सकता है। यह संरचना किले के प्रवेश द्वार के पास स्थित है। यहां द्वार के नीचे अगर आप ताली बजाएंगे, तो उसकी ध्वनि किले के सबसे ऊंचाई वाले भवन तक सुनी जा सकती है। संरचना को अब वर्तमान नाम 'तालियों के मंडप' से संबोधित किया जाता है।
देखने लायक चीजें :-
आप यहां ऐतिहासिक किले की मजबूत दीवारों को देख सकते हैं, जिसकी पहरेदारी में यह किला आज भी जीवित है। यह दीवारें इतनी मजबूत थीं, जिनका मुगलियां तोपें भी ज्यादा कुछ बिगाड़ा न सकीं। आप यहां दीवारों पर की गई प्राचीन नक्काशी देख सकते हैं, जो आज भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है। किले की थकावट भरी चढ़ाई के बाद अगर आप चाहें तो किले के ऊपर बने मंदिर व मस्जिद में बैठ पर आराम फरमा सकते हैं। साथ ही आप किले के परिसर में बना खूबसूरत बगीचा भी देख सकते हैं।
कैसे पहुँचे Golkunda :-
Golkunda fort तक पहुंचने के लिए आपको ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं।
आप यहां हवाई/रेल /सड़क मार्गों के सहारे पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग के लिए आपको हैदराबाद हवाईअड्डे का सहारा लेना पडे़गा।
रेल मार्ग के लिए आप Hyderabad या सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं, जहां से आपको Golkunda के लिए बस आसानी से मिल जाएगी।
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