मध्यप्रदेश का रहस्यमयी Garhkundar fort:-

Rahasyo ki Duniya पर आप लोगों का स्वागत हैं, आज हम आपको एक ऐसे किले के बारे बताने जा रहे हैं जो एक रहस्मयी घटना से जुड़ा हुआ हैं।
एक ऐसा रहस्य्मयी किला जो इतना डरावना हैं की लोग इस किले के बारे में सुनकर ही यहां जाने को तैयार हो जाते हैं। इसके बावजूद यहां पर सैलानियों की भीड़ उमड़ती हैं। 
इस किले की सबसे रहस्यमयी बात यह हैं की यह किला 12 किलोमीटर दूर से सपष्ट रूप से देखा जा सकता हैं लेकिन जैसे-जैसे हम इस किले के पास जाते हैं वैसे-वैसे यह किला गायब होने लगता हैं।

garh kundar fort
इस किले के नजदीक पहुंचने के बाद तो जैसे कुछ समझ पाना भी मुश्किल हो जाता हैं,की जो किला हमे दूर से दिखाई दे रहा था यह वही किला हैं ? या कोई और दूसरा किला हैं। 

Garh kundar fort

बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले में स्थित Garh kundar fort मध्य भारत में मध्य भारत राज्य के उत्तर में स्थित एक छोटे से गांव में स्थित उच्च पहाड़ी पर स्थित हैं। यह ओरछा से 70 किलोमीटर दूर हैं। मध्यप्रदेश की विरासतों में से एक यह किला प्रेम, लालच  तोड़फोड़ का एक महान इतिहास को समेटे हुए हैं। 
गढ़कुंडार किले के इतिहास में नागदेव, रूपकुंवर और उनकी प्रेमिका की कहानियां अभी अभी बुंदेलखंड के लोक गीतों शामिल है। 
यह किला इस तरह से बना हुआ हैं की 12 किलोमीटर से यह नग्न आँखों से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं ,मगर जैसे-जैसे आप इस किले के करीब आते हैं यह किला विहीन दिखाई देता हैं और इसे ढूंढना मुश्किल हो जाता हैं।
यह 1539 ईसवी तक राज्य की राजधानी के रूप में था तथा बाद में राजधानी को बेतवा नदी के तट पर ओरछा स्थानांतरित क्र दिया गया था। 

पूरी बारात हो गयी थी इस किले में गायब :-

इस किले की कहानी बहुत ही डरावनी और दिल दहला देने वाली हैं। स्थानीय लोग इस किले के जो भी कहानिया बताते है वे डरावनी हैं। स्थानीय लोगो के अनुसार अनेक वर्षों पहले इस किले में घूमने के लिए आई पूरी की पूरी बारात गायब हो गयी थी। जिसके बारे में अभी तक कोई सुराग नहीं मिला हैं। 
garh kundar fort
यहाँ बारात अभी भी रहस्य ही बनी हुई हैं। काफी समय पहले एक गांव में एक बारात आई थी उसमें 70 लोगों के शामिल होना बताते हैं जो कि सभी गढ़कुंडार के किले में घूमने के लिए गए थे । बताया जाता है कि बाराती किले में घूमते घूमते ऐसी जगह चले गए थे कि जहां कोई नहीं पहुंच सकता था । यह किला जमीन के भीतर का हिस्सा बताया जाता है उसके बाद बाराती कभी वापस नहीं आ सके । इस तरह यह पूरी की पूरी बारात यहां गायब हो गई थी । यह भी बताया जाता है कि इस घटना के बाद जमीन से जुड़े सभी दरवाजों को बंद कर दिया गया था गढ़कुंडार के किले के बारे में जितनी भी किस्से कहानियां प्रचलित हैं वह सभी एक ही ओर इशारा करती हैं कि गढ़कुंडार का किला आज भी ऐसे रहस्य को खुद में समेटे हुए हैं जिनके बारे में लोग आज भी अनभिज्ञ है।
इस किले की एक विशेषता यह भी है कि भूल भुलैया और अंधेरा होने के कारण दिन में भी यह किला बहुत डरावना लगता है।

जिनागढ़ के महल के नाम से प्रचलित था यह किला:-

कहा जाता है कि यह किला जिनागढ़ के महल के नाम से प्रचलित था। खेत सिंह न केवल पृथ्वीराज चौहान के प्रमुख थे बल्कि एक करीबी दोस्त भी थे। वह मूल रूप से गुजरात से थे उन्होंने युद्ध में परमल शासक शिव को पराजित किया था और किले पर अपना कब्जा कर लिया था और खंगार वंश की नींव रखी । उस समय यह किला जूनागढ़ के महल के नाम से जाना जाता था यह खेत सिंह था जिसने खंगर वंश की नींव रखी और जिजाक मुक्ति क्षेत्र में खंगर वंश के शासन को मजबूत किया। 
garh kundar fort
1212 ईसवी में खेत सिंह की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद खंगार की पांच पीढ़ी ने था शासन किया। बाद में खेत सिंह के पोते महाराज खूब सिंह खंगर ने जीना गढ़ पैलेस को दृढ़ कर दिया और इसे कुंडर किले के नाम से रखा। कुंदर शासक,इस किले से लेकर 1347 ईसवी तक शासन करते थे।
जब मोहम्मद तुगलक ने इस पर कब्जा कर लिया था जो बुंदेल शासकों के लिए प्रभारी सौंपे थे। नागदेव आखिरी खंगर शासक थे जिनकी खंगर सेना के जनरल के साथ हत्या कर दी गई थी। जिसमें एक बूर्जे शासकों ने हिस्सा लिया था उस समय में बुंदेल शासकों ने मुगलों की जिम्मेदारता की थी बुंदेल राजा वीर सिंह देव ने इसके लिए आवश्यक नवीनीकरण का काम किया और इसके वर्तमान स्वरूप को प्रदान किया।

किले की दंग करने वाली विशेषताएं:-

Garh kundar fort में 150 फिट की ऊंचाई और 400 फीट की चौड़ाई का प्रवेश द्वार है जिसकी ऊंचाई 20 फीट है किले की पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाहरी दीवारों में टावरों की संख्या भी हैं।
ब्रिटिस्टर बिलोचमन ने इस किले के बारे में प्रसिद्ध किताब अकबरनामा में बताया है उनका कहना है कि किले का क्षेत्रफल 01 हेक्टेयर है।
यह इस तरह से डिजाइन किया गया है कि नए आगंतुकों के लिए यह एक पहेली बना रहे। किले में एक खुला विशाल आंगन बनाए गए हैंकिला रहित पत्थर से बना है जो स्थानीय क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध है।
garh kundar fort
यह है इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अंदर के कमरे से आसानी से बाहरी लोगों को देखा जा सके लेकिन बाहरी व्यक्ति बाहर से कमरे के अंदर का दृश्य नहीं देख सके।
इसके लिए मैं कुछ चट्टानों और खंभों पर शिलालेख लिखा हुआ है।
एक बार जब आप गड़कुंडर किले में प्रवेश करते हैं तो बाईं तरफ एक छोटा सैनिक बैरक होता है यह दक्षिणी सेना में है किले के मुख्य पहाड़ टावर परिसर के दक्षिण-पूर्व पर स्थित हैं कुल किले स्तंभों पर खड़े हैं और किला बहू मंजिल परिसर है प्रत्येक मंजिल के निर्माण में प्राकृतिक प्रकाश, जलापूर्ति, घास का भंडारण, शौचालय आदि के लिए विशेष ध्यान दिया गया है।

कैसे जाएँ Garh kundar fort को देखने :-

By Flight:-

फ्लाइट लेकर ग्वालियर पहुचें।  वहां से टैक्सी लेकर दतिया ओरछा और गड़कुंडर जा सकते हैं। एक सेडान टैक्सी प्रति दिन रू 3000 से शुरू होती है। 

By Rail :-

दतिया में एक रेलवे स्टेशन है जो रेलवे द्वारा प्रमुख भारतीय शहरों से जुड़ा हुआ हैं।  आप ओरछा और गड़कुंडर घूमने के लिए वहां से टैक्सी ले सकते हैं। 

By Road :-

मध्यप्रदेश में स्टेट हाईवे अच्छे हैं आप कर द्वारा बहुत आसानी और सुविधा से गड़कुंडर घूम सकते है।


इनके बारे में भी जाने:-






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