Rahasyo ki Duniya पर आप लोगों का स्वागत हैं, आज हम आपको एक ऐसे किले बताने जा रहे हैं जिसे भूतों का गढ़ कहा हैं ।
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित Bhangarh fort जिसे लोग भूतों का बसेरा कहते हैं, इस किले में रात को आने वाला वापस नहीं जा पाता । हालांकि बड़ी तादाद में आज भी यहां घूमने के लिए बहुत लोग आते हैं, लेकिन रात होने से पहले ही वापस चले जाते हैं।
आइये जानते हैं भानगढ़ के बारे है इन सवालों के जवाब -
भानगढ़ में रात को क्यों नहीं जा सकते ?
क्या भानगढ़ में भूत रहते हैं ?
भानगढ़ की कहानी क्या है ?
रानी रत्नावती कौन थी ?
Bhangarh fort |
Bhangarh fort :-
एक समय था जब भानगढ़ में मंदिरों की घंटियों से आस्था के सुर हर सुबहः प्रवाहित होते थे तो शाम होते ही तवायफों के घुंघरुओं की झनकार रसिकों को मदहोश कर देती थी, लेकिन आज वहां सजती है भूतों की महफिल।
हालांकि यहां पर भूतों को किसी ने अपनी नज़रों से नहीं देखा लेकिन इनके चर्चे बहुत हैं, आजकल लोग भानगढ़ की गिनती आज देश के सबसे बड़े भूतों वाले इलाके के नाम से की जाती है।
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Bhangarh fort in rajasthan दिखने में जितना सुन्दर और आकर्षित करने वाला हैं, उतना ही डरावना भी हैं।
Bhangarh ka kila अपने बर्बाद होने के इतिहास और Rahasya की घटनाओं के कारण मशहूर है यह भारत के सबसे डरावने स्थानों में गिना जाता है। यहाँ तक कि पुरातत्व विभाग ने भी सूर्योदय से पूर्व और सूर्यास्त के उपरांत किले में प्रवेश न करने के संबंध में चेतावनी जारी की हैं और पाबंधी लगाई है।
Bhangarh fort warning board
Bhangarh fort warning Board |
1583 में निर्मित होने के उपरांत भानगढ़ का किला लगभग 300 वर्षों तक एक आबाद खुशहाल रियासत रहा और एक वक़्त के बाद यह ध्वस्त हो गया। इसके वीरान और उजाड़ होने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं, जो यहाँ के लोगों से सुनी जा सकती हैं।
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Bhangarh fort history
Haunted Bhangarh Fort in Rajasthan का निर्माण 1583 में आमेर के महाराजा भगवंतदास ने करवाया था। वीरान होने से पहले यह किला लगभग 300 वर्षों तक खुशहाल रहा।
महाराज भगवंतदास के छोटे बेटे मानसिंह थे, जो मुग़ल शहंशाह अकबर के नौ रत्नों में शामिल थे। भगवंत दास भाई माधोसिंह ने 1813 में इस किले को अपनी रिहाईश बना लिया।
उनके तीन बेटे थे – सुजानसिंह, छत्रसिंह और तेजसिंह। माधो सिंह नामक पुत्र की मौत के पश्चात् भानगढ़ किले का हक़ छत्र सिंह को मिला। महाराजा छत्र सिंह का पुत्र अजबसिंह था।
अजबसिंह ने Bhangarh को अपनी रिहाइश नहीं बनाया। उसने पास ही अजबगढ़ नामक नगर बसाया और वहीं रहने लगा। उसके दोनों बेटे काबिल सिंह और जसवंत सिंह भी वही अजबगढ़ में ही रहे। जबकि तीसरा पुत्र हरिसिंह 1822 में भानगढ़ का शासक बना।
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हरिसिंह के दो बेटे मुग़ल शासक औरंगजेब के समकालीन थे। औरंगजेब के शरण में आकर उन दोनों ने हिंदुत्व का त्याग कर मुसलमान धर्म अपना लिया था। धर्म परिवर्तन के बाद उन दोनों का नाम मोहम्मद कुलीज़ और मोहम्मद दहलीज़ पड़ा। और औरंगजेब ने इन दोनों को भानगढ़ रियासत की ज़िम्मेदारी सौंपी थी।
औरंगजेब के शासन के बाद जब मुग़ल सेना कमज़ोर पड़ने लगी, तब राजा सवाई जयसिंह ने मोहम्मद कुलीज़ और मोहम्मद दहलीज़ को ख़त्म कर भानगढ़ पर कब्ज़ा जमा लिया था।
Bhangarh fort Temple |
Bhangarh fort real story
Bhangarh के उजाड़ होने के rahasya के संबंध में निम्न भानगढ़ फोर्ट स्टोरी प्रचलित है :-
राजकुमारी रत्नावति और तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की कहानी:-
इस कहानी के अनुसार Bhangarh की राजकुमारी रत्नावति बहुत रूपवति थी. उसके रूप की चर्चा पूरे Bhangarhमें थी और कई राजकुमार उससे विवाह करने के इच्छुक थे। bhangarh fort real story
उसी राज्य में सिंधु सेवड़ा नामक एक तांत्रिक रहता था, वह काले जादू में पारंगत था। राजकुमारी रत्नावति को देखकर वह साधु राजकुमारी पर मोहित हो गया। वह किसी भी तरीके से राजकुमारी को हासिल करना चाहता था।
एक रोज राजकुमारी रत्नावति की दासी, राजकुमारी के लिए बाज़ार में श्रृंगार का तेल लेने गई। तब तांत्रिक साधु सेवड़ा ने तांत्रिक शक्तियों और काले जादू से उस तेल पर वशीकरण मंत्र प्रयोग कर रत्नावति के पास भिजवा दिया। उसकी कुटिल योजना थी कि, वशीकरण के प्रभाव से राजकुमारी रत्नावति उसकी ओर खिंची चली आयेंगी और वो राजकुमारी को हासिल कर लेगा।
लेकिन राजकुमारी रत्नावति तांत्रिक की योजना समझ गई थी और उसने वह तेल एक चट्टान पर गिरा दिया। काले जादू के प्रभाव से वह चट्टान तीव्र गति से तांत्रिक साधू सेवड़ा की ओर जाने लगी। जब तांत्रिक ने चट्टान से अपनी मौत होती देखी, तो उसने एक भयानक श्राप दिया कि भानगढ़ बर्बाद और वीरान हो जायेगा। वहाँ के निवासियों की शीघ्र मृत्यु हो जायेगी और उनकी आत्माएं सदा के लिए भानगढ़ में भटकती रहेंगी। और वह साधू उस चट्टान के नीचे दबकर मर गया।
इस घटना के कुछ समय बाद ही भानगढ़ और अजबगढ़ में भीषण युद्ध हुआ और उस युद्ध में भानगढ़ की हार हुई। और युद्ध उपरांत सम्पूर्ण भानगढ़ ध्वस्त हो गया, वहाँ के रहवासी मर गए, राजकुमारी रत्नावति भी न बच सकी,उसके बाद भानगढ़ कभी नहीं बसा। bhangarh fort of rajasthan ghost stories
Bhangarh fort rajasthan haunted story
Rahasya बनी हुयी इन घटनाओं के कारण पुरातत्व विभाग ने Bhangarh fort को भूतों का बसेरा घोषित कर दिया है। किले के प्रवेश दरवाजे पर पुरातत्व शास्त्रियों ने बोर्ड लगाया गया है, जिसके अनुसार सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद किले में प्रवेश करना वर्जित है। Bhangarh fort incidents
रहस्मयी घटनायें ( Bhangarh fort ghost incidents ) :-
आज यह किला जीर्ण-शीर्ण, वीरान स्थिति में धवस्त पड़ा हुआ है। लोगों की बातें माने तो यहाँ से रात में किसी के रोने और चीखने-चिल्लाने की तेज आवाजें आती हैं। कई बार यहाँ आत्माओं के साये को भी भटकते हुए देखे जाने की बात कही गई है।
ये बातें कितनी सच्ची हैं, ये किसी को नहीं पता, लेकिन पुरातत्व शास्त्रियों ने भी खोज-बीन के बाद इस किले को लोगों के लिए असामान्य बताया है।
Bhangarh kile की संरचना :-
Bhangarh Ka Kila तीन ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसके आगे के भाग में विशाल प्राचीर है, जो दोनों ओर पहाड़ियों तक फैली हुयी है। प्राचीर के मुख्य भाग में भगवन हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है।
मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर बाज़ार शुरू होता है। बाज़ार के समाप्त होने पर त्रिपोलिया द्वार बना हुआ है। त्रिपोलिया द्वार से राजमहल के परिसर में प्रवेश किया जा सकता है।
Bhangarh fort at night :-
Bhangarh fort night में बहुत भयानक और डरावना होता है। रात के वक़्त यहां की हवायें बेहद खतरनाक होती है और जो भी इनके पास आता हैं मर जाता हैं।
Bhangarh fort timing :-
दर्शनीय स्थल :-
भानगढ़ में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें मंदिर (Temples) प्रमुख है। यहाँ स्थित मंदिरों की दीवारों और खंभों की नक्काशी बेहतरीन है, जो इन्हें भव्य बनाती हैं।
किले में प्रमुख मंदिर स्थित हैं :–
- भगवान सोमेश्वर का मंदिर
- गोपीनाथ का मंदिर
- मंगला देवी का मंदिर
- केशव राय का मंदिर
पूरी भानगढ़ रियासत खंडहर में तब्दील हो चुका है। लेकिन यहाँ के मंदिर सही-सलामत हैं। हालांकि मंदिरों में सोमेश्वर महादेव के मंदिर में स्थापित शिवलिंग को छोड़कर किसी भी मंदिर में मूर्तियाँ नहीं हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में केवल तांत्रिक साधू सेवड़ा के वंशज की पूजा करते है।
दर्शनीय स्थल में सोमेश्वर महादेव के निकट स्थित बावड़ी भी है, जहाँ पर गाँव के लोग स्नान करते हैं। इसके अलावा वहा पर किले के अवशेष हैं।
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कैसे पहुँचे भानगढ़:-
भानगढ़ का किला जयपुर-दिल्ली राजमार्ग (Jaipur-Delhi NH 8) के नजदीक स्थित है ।
हवाई मार्ग (By Air):-
यदि हवाई मार्ग की बात की जाये, तो सबसे पास वाला airport जयपुर का सांगानेर एयरपोर्ट (Sanganer Airport) है, जहाँ से भानगढ़ की दूरी 58 Km है। एयरपोर्ट से Bhangarh के लिए बस या कैब ली जा सकती है।
रेल मार्ग (By Train):-
ट्रेन से यात्रा करनी हो, तो nearest Railway Station, Bhangarh से 11 km की दूरी पर स्थित Dausa Railway Station है. रेलवे स्टेशन से भानगढ़ के जाने लिए बस या कैब की सुविधा ली जा सकती है।
सड़क मार्ग (By Road):-
Bhangarh fort Rajasthan के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा है और वहाँ पहुँचने लिए टैक्सी या पब्लिक ट्रांसपोर्ट बस का भी उपयोग किया जा सकता है।
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